(क) कृष्ण ने मुस्कुराहट भरी दृष्टि से गोपी का हृदय हर लिया है और जब उन्होंने गोपी से दृष्टि फेर ली तो वह दुखी हो गई।
(ख) गोपी कृष्ण से मिलन का सपना देख रही थी। कृष्ण ने उसे अपने साथ झूला झूलने का निमंत्रण दिया था, वह इससे प्रसन्न थी। कृष्ण के साथ जाने के लिए वह उठने ही वाली थी कि उसकी नींद टूट गई। इस विषय पर वह कहती है कि उसका जागना उसके भाग्य को सुला गया। अर्थात उसके नींद से जागने के कारण कृष्ण का साथ छूट गया। यह जागना उसके लिए दुर्भाग्य के समान है।
(ग) प्रस्तुत पंक्ति में बादल द्वारा बरसाई बूँदें आँखों से आँसू रूप में गिर रही हैं। भाव यह है कि आकाश में बादल छाए हैं और रिमझिम बूँदें पड़ रही हैं।
(घ) प्रस्तुत पंक्ति में देव दरबारी वातावरण का वर्णन कर रहे हैं। वह कहते हैं कि दरबार का राजा अँधा हो गया है। दरबारी गूँगे तथा बहरे हो गए हैं। वे भोग-विलास में इतना लिप्त हैं कि उन्हें कुछ भी सुनाई दिखाई नहीं देता है। अतः वे बोलने में भी असमर्थ हैं।