अगले दिन दोनों बिल्लियों को एक तरबूज़ मिला। दोनों सोचने लगीं, इस तरबूज़ को कैसे बाँटा जाए कि तभी फिर से बंदर आ गया। आगे क्या हुआ होगा?
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अगले दिन तरबूज़ लेकर बिल्लियाँ जा रही थीं तभी बंदर आ गया। वह बोला- ''लाओ बँटवारा कर दूँ।'' अब की बार बिल्लियाँ बंदर के झाँसे में नहीं आईं। वे तुरंत बोलीं- ''तुम्हारा न्याय हम देख चुके हैं। तुम जा सकते हो हम अपने आप ही बाँटकर खा लेगीं।'' यह कहकर वे चली गईं। बंदर अपना-सा मुँह लेकर रह गया।