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Question

Amongst the myriad supply chains, supply chains for food grapple maximum with the problem of waste at all stages. Unlike the fresh produce which is highly perishable and has a limited life, India has the notorious distinction of having the highest, ever increasing spoilage in a comparatively easier to manage food grains chain-wheat and rice supply chain. The scale of waste is staggering.

In the pre-independence era and the decades following independence. India was always short of food grains. From 1947 until the mid 1960s, we were dependent upon foreign aid, leading a ship to mouth existence. And we did not and could not waste much as we simply did not have enough. For the majority of Indians, PL 480 programme that authorised wheat shipments to India was an often despised alphanumeric code denoting American imperialism rather than a reminder of American benefaction.

As green revolution succeeded, within four decades our supply chains earlier afflicted by widespread shortages were slowly saddled with a problem of plenty. In fact, news regarding wheat rotting in FCI warehouses with regularity has already desensitized us to such colossal waste; nor it ceases to alarm us.

Q64. Which among the following is the most logical and rational inference that can be made from the above passage?

असंख्य आपूर्ति-श्रृंखलाओं में से सभी स्तरों पर बर्बादी की समस्या अधिकतम खाद्य-आपूर्ति श्रृंखलाओं में है। ताजा उत्पादन, जो अत्यधिक बर्बाद होने वाला है, का सीमित जीवन होता है। भारत में खाद्यान्न श्रृंखला गेहूँ और चावल की आपूर्ति-श्रृंखला का प्रबंधन करने हेतु तुलनात्मक रूप से अधिक आसानी से खराब होने की वर्धमान मात्रा हेतु प्रसिद्ध है। बेकार होने का पैमाना चौंका रहा है।

स्वतंत्रता से पूर्व और स्वतंत्रता के बाद के दशकों में, भारत में सदैव खाद्यानों की कमी थी। सन् 1947 से सन् 1957 के मध्य के दशक तक, हम विदेशी सहायता पर निर्भर थे, जिसने अस्तित्व के लिए जहाज से पेट भरने हेतु अग्रसर किया। साथ ही, हम अधिक बर्बाद नहीं किया और नहीं कर सकते थे, क्योंकि हमारे पास पर्याप्त नही थे। बहुसंख्यक भारतीयों के लिए PL-480 कार्यक्रम, जो भारत के लिए अधिकृत गेहूं नौवहन जो अक्सर अक्षांसकीय कूट, जो अमेरिकी सहानुभूति के प्रतीक थी, के बजाय अमेरिकी साम्राज्यवाद को सूचित करता था।

जैसे ही हरित क्रांति सफल हुई, चार दशकों के अंतर्गत हमारी आपूर्ति-श्रृंखलाएँ, जो प्रारंभ में व्यापक कमियों से पीड़ित थी, धीरे-धीरे अन्य बहुत सारी समस्या के साथ अधिकता की समस्या से ग्रस्त है। वस्तुतः FCI गोदामों में नियमित रूप से गेहूँ सड़ने के समाचार ने पहले ही हमें ऐसी विशाल क्षति हेतु असंवेदनशील बना दिया है, अब यह चेतावनी के स्तर तक पहुँच गई है।

Q. उपर्युक्त परिच्छेद से, निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वाधिक तार्किक और तर्कसंगत अनुमान (इनफेरेंस) निकाला जा सकता है?

A
The green revolution led to a rise in the food grain production of the country and this drastically affected the supply chains which were not updated since the 1960s.

हरित क्रांति देश के खाद्यान उत्पादन में वृद्धि का नेतृत्व करती है तथा यह जबरदस्त रूप से आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित करती है, जो सन् 1960 के दशक से उत्परिवर्तित (अपडेटेड) नहीं हुई थीं।
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B
The FCI warehouses do not have the adequate capacity to handle the increase in food grain production as a result of the green revolution.

FCI के गोदामों के पास हरित क्रांति के परिणामस्वरूप खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि को संचलन करने की पर्याप्त क्षमता नहीं है।
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C
Many Indians did not like the idea of importing food grains from other countries.

बहुसंख्यक भारतीय दूसरे देशों से खाद्यान्नों के आयात करने के विचार को पसंद नहीं किया।
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D
The wastage of food on a massive scale due to mismanagement of supply chains is alarming and requires some reformative measures.

आपूर्ति-श्रृंखलाओं के कुप्रबंधन के कारण विशाल पैमाने पर खाद्यानों की बर्बादी चेतावनी है और कुछ सुधारात्मक उपायों की आवश्यकता है।
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Solution

The correct option is D The wastage of food on a massive scale due to mismanagement of supply chains is alarming and requires some reformative measures.

आपूर्ति-श्रृंखलाओं के कुप्रबंधन के कारण विशाल पैमाने पर खाद्यानों की बर्बादी चेतावनी है और कुछ सुधारात्मक उपायों की आवश्यकता है।
Option (d) is the correct choice. Option (a) is incorrect as we cannot infer it the supply chains were updated or not. Option (b) is incorrect as the passage says the grains were rotting in the FCI warehouses. Also we cannot infer it there shortage of storage space as the passage is about the entire supply chain. Option (c) is incorrect as the passage speaks about foreign aid and not import. Option (d) correctly infers that action is necessary based on the first and the fast sentences of the passage.

विकल्प (d) सही चयन है। विकल्प (a) गलत है, क्योंकि हम अनुमान नहीं कर सकते हैं कि आपूर्ति श्रृंखलाएँ उत्परिवर्तित (अपडेटेड) हैं या नहीं। विकल्प (b) गलत है, क्योंकि परिच्छेद कहता है कि FCI के गोदामों में गेहूं सड़ रहे थे। साथ ही, हम यह भी अनुमान करते हैं क्या भण्डारण स्थान की कमी है, क्योंकि परिच्छेद संपूर्ण आपूर्ति-श्रृंखला के बारे में है। विकल्प (c) भी सही नहीं है, क्योंकि परिच्छेद विदेशी सहायता के बारे में कहता है, न कि आयात के बारे में। परिच्छेद के प्रथम और अंतिम वाक्य के आधार पर विकल्प (d) सही रूप से अनुमान करता है कि कार्रवाई की आवश्यकता है।

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Q. Amongst the myriad supply chains, supply chains for food grapple maximum with the problem of waste at all stages. Unlike the fresh produce which is highly perishable and has a limited life, India has the notorious distinction of having the highest, ever increasing spoilage in a comparatively easier to manage food grains chain-wheat and rice supply chain. The scale of waste is staggering.

In the pre-independence era and the decades following independence. India was always short of food grains. From 1947 until the mid 1960s, we were dependent upon foreign aid, leading a ship to mouth existence. And we did not and could not waste much as we simply did not have enough. For the majority of Indians, PL 480 programme that authorised wheat shipments to India was an often despised alphanumeric code denoting American imperialism rather than a reminder of American benefaction.

As green revolution succeeded, within four decades our supply chains earlier afflicted by widespread shortages were slowly saddled with a problem of plenty. In fact, news regarding wheat rotting in FCI warehouses with regularity has already desensitized us to such colossal waste; nor it ceases to alarm us.

Q63. With reference to the above passage, consider the following statements:
1. Food supply chains face shortages across all stages.
2. Losses of fresh produce are very common in India.
3. Wheat and rice supply chains are easier to manage.
Which of the above statements is/are correct?

असंख्य आपूर्ति-श्रृंखलाओं में से सभी स्तरों पर बर्बादी की समस्या अधिकतम खाद्य-आपूर्ति श्रृंखलाओं में है। ताजा उत्पादन, जो अत्यधिक बर्बाद होने वाला है, का सीमित जीवन होता है। भारत में खाद्यान्न श्रृंखला गेहूँ और चावल की आपूर्ति-श्रृंखला का प्रबंधन करने हेतु तुलनात्मक रूप से अधिक आसानी से खराब होने की वर्धमान मात्रा हेतु प्रसिद्ध है। बेकार होने का पैमाना चौंका रहा है।

स्वतंत्रता से पूर्व और स्वतंत्रता के बाद के दशकों में, भारत में सदैव खाद्यानों की कमी थी। सन् 1947 से सन् 1957 के मध्य के दशक तक, हम विदेशी सहायता पर निर्भर थे, जिसने अस्तित्व के लिए जहाज से पेट भरने हेतु अग्रसर किया। साथ ही, हम अधिक बर्बाद नहीं किया और नहीं कर सकते थे, क्योंकि हमारे पास पर्याप्त नही थे। बहुसंख्यक भारतीयों के लिए PL-480 कार्यक्रम, जो भारत के लिए अधिकृत गेहूं नौवहन जो अक्सर अक्षांसकीय कूट, जो अमेरिकी सहानुभूति के प्रतीक थी, के बजाय अमेरिकी साम्राज्यवाद को सूचित करता था।

जैसे ही हरित क्रांति सफल हुई, चार दशकों के अंतर्गत हमारी आपूर्ति-श्रृंखलाएँ, जो प्रारंभ में व्यापक कमियों से पीड़ित थी, धीरे-धीरे अन्य बहुत सारी समस्या के साथ अधिकता की समस्या से ग्रस्त है। वस्तुतः FCI गोदामों में नियमित रूप से गेहूँ सड़ने के समाचार ने पहले ही हमें ऐसी विशाल क्षति हेतु असंवेदनशील बना दिया है, अब यह चेतावनी के स्तर तक पहुँच गई है।

Q. उपर्युक्त परिच्छेद के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. खाद्य आपूर्ति-श्रृंखला सभी स्तरों पर कमी का सामना करती है।
2. भारत में ताजे उत्पादन की क्षति बहुत सामान्य है।
3. गेहूँ और चावल की आपूर्ति-श्रृंखलाएँ अधिक आसानी से प्रबंधित की जा सकती हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Q. Due to lack of efficient infrastructure in the food processing industry, about 30-35 percent of all foods produced in India are wasted. The critical issues at each sub-system of the agricultural supply chain, starting from the input to the consumer, must be integrated in an efficient and effective manner. Investments in cold chain infrastructure, applied research in post-harvest technologies, installation of food processing plants in various sectors and development of food retailing sectors are mandatory for achieving gains in this sector. Another important aspect of the agriculture supply chain in India is the role of ICTs in supply chain management. There is wide research gap in this sector. An efficient supply chain plays very important role for development of agriculture therefore government action must address the issue of infrastructure development to achieve the objective of food security for all.

Q33. With reference to the passage, following assumptions have been made:
1. Government inaction in the agricultural sector in India is to blame for the lack of adequate infrastructure in the food processing industry.
2. ICTs can aid in the management of supply chains and thus improve the food security situation in India.
Which of these assumption is/are valid?

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में कुशल बुनियादी ढांचे के अभाव के कारण भारत में उत्पादित सभी खाद्य पदार्थों का करीब 30 से 35 प्रतिशत बर्बाद होते है। कृषि आपूर्ति-श्रृंखला प्रत्येक उप-प्रणाली स्तर पर महत्वपूर्ण मुद्दों, जो आगत से आरंभ होता है एवं उपभोक्ता तक जाता है, को दक्ष और प्रभावकारी तरीके से एकीकृत किया जाना चाहिए। इस क्षेत्र में लाभ प्राप्त करने हेतु आधारभूत शीतलन संरचना की श्रृंखला, उत्तर-कटाई प्रौद्योगिकियों में प्रायोगिक अनुसंधान विविध क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना तथा ख़ाद्य खुदरा क्षेत्र का विकास अनिवार्य हैं। भारत में कृषि आपूर्ति-श्रृंखला का दूसरा महत्वपूर्ण पक्ष आपूर्ति-श्रृंखला के प्रबंध में ICT की भूमिका है। इस क्षेत्र में व्यापक अनुसंधान अंतर है। एक कुशल आपूर्ति-श्रृंखला कृषि के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इसलिए सभी के लिए खाद्य सुरक्षा का उद्देश्य प्राप्त करने हेतु आधारभूत संरचना के विकास के मुद्दे को सरकारी सक्रियता को संबोधित करना चाहिए।

Q. परिच्छेद के संदर्भ में, निम्नलिखित-धारणाएँ बनी हैं:
1. भारत में कृषि में खाद्य प्रसंरकरण उद्योग में पर्याप्त आधारभूत संरचना का अभाव के लिए सरकारी निष्क्रियता उत्तरदायी है।
2. आपूर्ति-श्रृंखलाओं के प्रबंध में ICTs सहायक हो सकते हैं और इस प्रकार भारत में खाद्य सुरक्षा की स्थिति बेहतर बना सकती है।
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