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Question

अंदर का भय कवि के नयनों को सुनहली भोर का अनुभव क्यों नहीं होने दे रहा है?

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Solution

कवि के मन में डर है। इस डर के कारण आशारूपी उषा आँखों के पास नहीं पहुँच पा रही है। कवि की आँखें सुखद पल का इंतज़ार कर रही है लेकिन वह पल समीप पहुँच नहीं पाता है। कवि के मन में निराशा तथा व्याकुलता से भय उपजा है।

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