बाज ज़िंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा फिर घायल होने के बाद भी वह उड़ना क्यों चाहता था ?
साँप की गुफा को देखकर बाज को अन्दर ही अन्दर साँप के जीवन से घृणा हो गई थी। वह साँप को उस दुर्गन्ध भरी अंधेरी गुफा में प्रसन्न देखकर उसके जीवन के लिए उसे धिक्कार रहा था। वह जान गया था कि इस साँप ने कभी इस गुफा से आगे का जीवन देखा ही नहीं है। वह अपना अन्तिम समय उसी तरह जीना चाहता था जब वह पूर्ण रूप से स्वस्थ था।वह फिर से उस आनन्द का सुख पाना चाहता था जो सदैव उड़ते हुए उसे प्राप्त होता था। वह साँप की उस अन्धेरी गुफा में अपने प्राणों को त्यागकर अपना अन्तिम समय व्यर्थ नहीं जाने देना चाहता था। उसने सदैव बहादुरी से जीवन यापन किया था। अपने अंतिम समय में भी उस बहादुरी का परिचय देते हुए अपने जीवन की सार्थकता को सिद्ध करना चाहता था। यही उसका लक्ष्य था इसलिए उसने अंतिम उड़ान भरने का निर्णय लिया।