wiz-icon
MyQuestionIcon
MyQuestionIcon
1
You visited us 1 times! Enjoying our articles? Unlock Full Access!
Question

"बालक बच गया। उसके बचने की आशा है क्योंकि वह लड्डू की पुकार जीवित वृक्ष के हरे पत्तों का मधुर मर्मर था, मरे काठ की अलमारी की सिर दुखानेवाली खड़खड़ाहट नहीं" कथन के आधार पर बालक की स्वाभाविक प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।

Open in App
Solution

छोटे बालक की स्वाभाविक प्रवृत्तियाँ होती हैं कि वह जिद्द करे, अन्य बच्चों के साथ खेले, ऐसे प्रश्न पूछे जो उसकी समझ से परे हों, खाने-पीने की वस्तुओं के प्रति आकर्षित और ललायित हो, रंगों से प्रेम करे, हरदम उछले-कूदे, अपने सम्मुख आने वाली हर वस्तु के प्रति जिज्ञासु हो, शरारतें करे इत्यादि। ये एक साधारण बालक की स्वाभाविक प्रवृत्तियाँ होती हैं और यदि ये प्रवृत्तियाँ न हो, तो चिंताजनक स्थिति मानी जाती है। वह उसके जीवन का आरंभिक समय है। पाठ में लेखक ने जिस बालक का उल्लेख किया है पिता ने उसकी इन प्रवृत्तियों को अपनी उच्चाकांशा के नीचे दबा दिया था। बालक की उम्र आठ वर्ष की थी। उसके अंदर अभी इतनी समझ विकसित नहीं हुई थी कि गंभीर विषयों को समझे। पिता द्वारा उसे यह सब रटवाया गया था। उसे इन सब बातों को रटवाने के लिए पिता ने बच्चे के बालमन को कितनी चोटें पहुँचायी होगी यह शोचनीय है। उनके इस प्रयास में बालक की बालसुलभ प्रवृत्तियों का ह्रास तो अवश्य हुआ होगा। परन्तु उसका लड्डू माँगना इस ओर संकेत करता है कि अब भी कहीं उसमें बालसुलभ प्रवृत्तियाँ विद्यमान थीं, जो उसे और बच्चों के समान ही बनाती थी। लेखक को विश्वास था कि अब भी बालक बचा हुआ है और प्रयास किया जाए, तो उसे उसके स्वाभाविक रूप में रखा जा सकता है। लेखक का यह कथन इसी ओर संकेत करता है।

flag
Suggest Corrections
thumbs-up
19
Join BYJU'S Learning Program
similar_icon
Related Videos
thumbnail
lock
Bank Reconciliation Part 2
ACCOUNTANCY
Watch in App
Join BYJU'S Learning Program
CrossIcon