बेबी की ज़िंदगी में तातुश का परिवार न आया होता तो उसका जीवन कैसा होता? कल्पना करें और लिखें।
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Solution
बेबी की ज़िंदगी में तातुश परिवार का आना देवयोग के समान लगता है। उनके परिवार ने ही उसके जीवन की भयानकता को सुख में बदल दिया। तातुश तथा उसके परिवार ने बेबी तथा उसके बच्चों की ज़िंदगी को संवार दिया। बेबी ने ज़िंदगी का अर्थ दूसरों के घर में बर्तन धोकर और सफ़ाई करके ही गुज़ार देना था। लेकिन तातुश ने बेबी को उस ज़िंदगी से बाहर निकाला तथा उसके जीवन को नया आयाम दिया। तातुश की मेहनत ही थी कि बेबी ने बांग्ला साहित्य को अपनी जीवनी के रुप में एक बेजोड़ सच्ची रचना दी। तातुश का परिवार यदि तातुश के जीवन में आया नहीं होता, तो उसके बच्चे दूसरों के घरों में काम कर रहे होते। स्वयं बेबी दूसरों के घर में साफ़-सफ़ाई का काम कर रही होती। लोगों उसके साथ बुरा व्यवहार कर रहे होते। वो तथा उसके बच्चे झुगियों में भटक रहे होते। हमें बेबी हालदार जैसी लेखिका नहीं मिलती। उसके स्थान पर एक सफ़ाई कर्मचारी मिलती।