भाव व शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) अंसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम-बेलि बोयी
अब तो बेलि फैलि गई, आणंद फल होयी
(ख) दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से विलोयी
दधि मथि घृत काढ़ि लियो, डारि दयी छोयी
Open in App
Solution
(क) इस पंक्ति का भाव सौंदर्य इस प्रकार है- मीरा ने दुखों और कष्टों के मध्य कृष्ण के प्रेम की बेल को बोया है अर्थात कृष्ण के प्रेम को उन्होंने ऐसे ही नहीं पाया है। इसके लिए उन्हें बहुत दुख और कष्टों का सामना करना पड़ा है। अब यह बेल चारों ओर फैल गई है। इसमें आनंद रूपी फल लग रहे हैं। भाव यह है कि अब कृष्ण की प्रेम रूपी बेल फल-फूल रही है। अब इससे उन्हें आनंद रूपी फल की प्राप्ति हो रही है। वह इसे खोना नहीं चाहती है।
शिल्प-सौंदर्य इस प्रकार है-
1. सींचि-सींचि में 'सींचि' शब्द की उसी रूप में पुनरुक्ति होने के कारण यहाँ पर पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
2. 'प्रेम-बेलि' और 'आणंद-फल' के अंदर रूपक अलंकार विद्यमान है।
3. इसके अंदर राजस्थानी और ब्रजभाषा का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है।
(ख) इस पंक्ति का भाव सौंदर्य इस प्रकार है- इन पंक्तियों के अंदर मीरा मनुष्य को संसार तत्व को आत्मसात कर बेकार की बातों को त्यागने का परामर्श देती है। मथनी के माध्यम से दूध को बिलोना प्रतीक है; प्रयास का। मीरा के अनुसार जब दही को बिलोया जाता है तभी हमें घी प्राप्त होता है। अतः ईश्वर को प्राप्त करना है, तो हमें प्रयास करना चाहिए।
शिल्प-सौंदर्य इस प्रकार है-
1. 'दूध की मथनियाँ' में रूपक अलंकार है।
2. प्रेमपूर्वक बिलोना में लाक्षणिकता का प्रयोग हुआ है।
3. इसके अंदर राजस्थानी और ब्रजभाषा का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है।