'भय' शब्द पर सोचिए। सोचिए कि मन में किन-किन चीज़ों का भय बैठा है? उससे निबटने के लिए आप क्या करते हैं और कवि की मनःस्थिति से अपनी मनःस्थिति की तुलना कीजिए।
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Solution
भय ऐसा भाव है, वह तब पैदा होता है, जब हम किसी स्थिति या वस्तु को पसंद नहीं करते या उसका सामना करना नहीं चाहते हैं। यह वह स्थिति होती है, जब हम भागते हैं। जब हमारे सामने वह उपस्थित हो जाता है, तो भय हमें आ घेरता है। इससे हर कोई बचना चाहता है क्योंकि सबके मन में किसी-न-किसी के लिए भय विद्यमान होता है। लोगों के मन में चूहे, कॉकरोज, छिपकली, भूत, ऊँचाई, अंधेरे इत्यादि का भय बैठा रहता है। मुझे अंधेरे से बहुत डर लगता था। बहुत समय तक मैं इसके कारण परेशान रहा। रात को घर में अकेले रहने में भी मुझे डर लगता था। एक दिन माँ की बहुत तबीयत खराब हो गई थी। पिताजी को उन्हें अस्पताल लेकर जाना पड़ा। उस दिन में घर पर अकेला रह गया। रात में बिजली चली गई। मेरी स्थिति बहुत खराब हो गई थी। मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। दस मिनट तक मैं यूहीं बैठा रहा। भय से मेरी आँखें बंद हो रही थीं। मैंने देखा कि बंद आँखों में भी मुझे अंधकार दिख रहा था। मैंने सोचा कि मैं आँखें बंद होने पर जो अंधेरा देखता हूँ, उससे मुझे डर नहीं लगता। इस अंधेरे और उस अंधेरे में क्या अंतर है। बहुत सोचने पर जाना कि कुछ अंतर नहीं है। जैसे अचानक किसी ने मुझे झकझोर दिया और मैं उठकर मोमबत्ती ढूँढने लगा। मोमबत्ती को जलाते ही घर में प्रकाश हो गया और मेरा भय जाता रहा। अब मैं जब किसी वस्तु या स्थिति से डरने लगता हूँ तो स्वयं को समझाता हूँ। कुछ समय बाद में सहज महसूस करने लगता हूँ। कवि और मेरे मन की स्थिति बहुत अलग है। कवि का भय अपनी प्रेमिका के अतिशय प्रेम से उपजा है। उसे वह प्रेम पसंद भी है और वह उससे परेशान भी हो जाता है। मेरे साथ ऐसा नहीं है। मैं ऐसी स्थिति में नहीं होता हूँ। मैं केवल अंधेरे से डरता था। मुझे अंधेरा कभी पसंद नहीं आया। आज मेरा भय पूर्ण रूप से चला गया है। मैं कवि की तरह दुविधा में नहीं जा रहा हूँ।
(नोट: विद्यार्थी प्रयास करें कि इस प्रश्न में अपना अनुभव लिखे तभी इस प्रश्न का उत्तर पूर्ण हो पाएगा।)