बिचारिए तो, क्या शान आपकी इस देश में थी और क्या हो गई! कितने ऊँचे होकर आप कितने नीचे गिरे! आशय स्पष्ट कीजिए।
लेखक इन पंक्तियों के माध्यम से कर्जन पर व्यंग्य कसता है। वह कहता है कि पहले भारत में आपके आगे बड़े-बड़े राजा-महाराजा तक हाथ बाँधे खड़े रहते थे। आपका हाथी सबसे पहले जाया करता था। आपकी शान यहाँ देखने लायक थी। वह बहुत ऊँचाई पर चला गया था। आज स्थिति बदल गई है। उसी ऊँचाई से गिरकर वह जमीन पर आ गया है। उसे अपनी सच्चाई का पता चल गया है। उसे भारत से निकाला जा चुका है। ब्रिटिश शासन ने उसकी छोटी-सी माँग को न मानकर उसकी सारे भारत के सामने बेइज़्ज़ती कर दी है।