बनारस शहर के लिए जो मानवीय क्रियाएँ इस कविता में आई हैं, उनका व्यंजनार्थ स्पष्ट कीजिए।
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Solution
बनारस शहर के लिए दो जगह मानवीय क्रियाएँ अभिलक्षित हुई हैं। वे इस प्रकार हैं।-
• इस महान और पुराने शहर की जीभ किरकिराने लगती है-
इसमें व्यंजनार्थ है कि बनारस में धूल भरी आँधी चलने से इस शहर के गली मौहल्लों में धूल ही धूल नज़र आ रही है। जिसके कारण पूरा शहर धूल से अट गया है।
• अपनी एक टाँग पर खड़ा है यह शहर अपनी दूसरी टाँग से बिल्कुल बेखबर!-
इसमें व्यंजनार्थ है कि बनारस आध्यात्मिकता में इतना रत है कि उसे हो रहे बदलावों के विषयों में ज्ञान ही नहीं है। बनारस अब आधुनिकता की तरफ भी अग्रसर है। वह बस आध्यात्मिकता के रंग में रंगा हुआ दूसरे पक्ष से बिल्कुल अनजान खड़ा है।