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Question

''चांद्रायण व्रत करती हुई बिल्ली के सामने एक चूहा स्वयं आ जाए तो बेचारी को अपना कर्तव्य पालन करना ही पड़ता है।''- लेखक ने यह वाक्य किस संदर्भ में कहा और क्यों?

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Solution

यह वाक्य लेखक ने उस संदर्भ में कहा था, जब उसे पेड़ के नीचे पत्थरों के ढेर में शिव की 20 सेर की प्राचीन मूर्ति दिखाई थी। पसोवा गाँव से उसे अधिक पुरातत्व महत्व की वस्तु नहीं मिली थी। गाँव से बाहर निकलते हुए उसने देखा कि एक पेड़ के सहारे शिव की प्राचीन 20 सेर की मूर्ति रखी है। उसे देखकर वह प्रसन्न हो उठा। उसकी स्थिति उसी बिल्ली के समान थी, जो चांद्रायण व्रत करती है। चांद्रायण व्रत वह व्यक्ति करता है, जिसने बहुत पाप किए हैं। बिल्ली इस व्रत को करती है ताकि वह पाप मुक्त हो जाए। लेकिन जैसे ही उसके सामने चूहा आता है, वह भूल जाती है कि उसने पापनाशक व्रत रखा है। आदत से मज़बूर वह व्रत भूलकर चूहे को मारकर खा जाती है। लेखक इस पंक्ति को बोलकर अपनी विवशता बताता है कि वह मूर्ति उठाकर ले जाना नहीं चाहता है परन्तु मूर्ति के पुरातत्व महत्व को जानकर मूर्ति उठा ले जाने के लिए विवश हो उठता है। वह चुपचाप मूर्ति को इक्के पर उठाकर ले जाता है।

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