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Question

Capital inflows can be classified by instrument (debt or equity) and maturity (short-term or long-term). The main components of capital account include foreign investment, loans, and banking capital. Foreign investment comprising FDI and portfolio investment represents non-debt liabilities, while loans (external assistance, ECBs, and trade credit) and banking capital including NRI deposits are debt liabilities. In India, FDI is preferred over portfolio flows as the FDI flows tend to be more stable than portfolio and other forms of capital flows. Rupee-denominated debt is preferred over foreign currency debt and medium- and long-term debt is preferred over short-term.

Push and pull factors explain international capital flows. Push factors are external to an economy and inter alia include parameters like low interest rates, abundant liquidity, slow growth, or lack of investment opportunities in advanced economies. Pull factors like robust economic performance and improved investment climate as a result of economic reforms in emerging economies are internal to an economy.

Q38. Consider the following statements with reference to the passage:

1. Push and pull factors explain international capital flows.

2. Robust economic performance and improved investment climate as a result of economic reforms in emerging economies are external to an economy.

3. Low interest rates, abundant liquidity, slow growth, or lack of investment opportunities in advanced economies are internal factors of any economy.

Which of the above statement(s) is/are correct?

पूँजी अंर्तप्रवाह को लेखपत्रों (ऋण या शेयर) और परिपक्क्ता (अल्पावधि या दीर्घावधि) के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। पूंजीगत खाते के मुख्य संघटकों में विदेशी निवेश, ऋण और बैंकिंग पूँजी सम्मलित हैं। पोर्टफोलियो निवेश और FDI जैसे विदेशी निवेश, गैर-ऋणों के प्रतीक हैं, जबकि ऋण (बाह्य सहायता, बाह्य वाणिज्यक ऋण और व्यापार ऋण), बैंकिंग पूँजी और अनिवासी भारतीय जमाएं ऋण देयताओं की श्रेणी में आते है। भारत में पोर्टफोलियो अंतर्प्रवाह की तुलना में FDI को अधिक वरीयता मिलती है क्योंकि FDI अंतर्प्रवाह पोर्टफोलियो और निवेश के अन्य शैलियों से अधिक संतुलित है। विदेशी मुद्रा की तुलना में भारतीय रूपयों में ऋण को वरीयता प्राप्त होती है और लघु अवधि के ऋण की तुलना में मध्यम या दीर्घावधि के ऋण को वरीयता दी जाती है।

‘पुश एंड पुल’ कारक, अंतर्राष्ट्रीय पूँजी प्रवाह की व्याख्या करते हैं। ‘पशु’ कारक अर्थव्यवस्था के बाहर से कार्य करते हैं, जिनमें अन्य विषयों के साथ कुछ मानदण्ड, जैसे कि निम्न ब्याज दर, नकदी की प्रचुरता, धीमा विकास, या उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में निवेश में अवसरों का अभाव भी सम्मलित होता है। ‘पुल’ कारक अर्थव्यवस्था के भीतर कार्य करते हैं, जैसे उदीयमान अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक सुधारों के फलस्वरूप अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ प्रदर्शन और निवेश का उन्नत वातावरण।

Q38. परिच्छेद के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

1. ‘पुश एंड पुल’ कारक अंतर्राष्ट्रीय पूँजी प्रवाह की व्याख्या करते हैं।

2. उदीयमान अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक सुधारों के फलस्वरूप अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ प्रदर्शन और निवेश का उन्नत वातावरण अर्थव्यवस्था के बाह्य कारक हैं।

3. निम्न ब्याज दर, नकदी की प्रचुरता, धीमा विकास, या उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में निवेश के अवसरों का अभाव किसी अर्थव्यवस्था के आंतरिक कारक हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?


A

(a) Only 1

(a) केवल 1

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B

(b) Only 2 and 3

(b) केवल 2 और 3

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C

(c) All of the above

(c) 1, 2 और 3

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D

(d) Only 3

(d) केवल 3

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Solution

The correct option is A

(a) Only 1

(a) केवल 1


Statement 1 is correct while 2 and 3 are incorrect from last paragraph.

Push and pull factors explain international capital flows. This is directly stated in the passage. Thus, statement 1 is correct.

Push factors are external to an economy and inter alia include parameters like low interest rates, abundant liquidity, slow growth, or lack of investment opportunities in advanced economies. Pull factors like robust economic performance and improved investment climate as a result of economic reforms in emerging economies are internal to an economy. Thus, push factors and pull factors are interchanged and thus, both statements are wrong.

कथन 1 सही है और अंतिम अनुच्छेद से कथन 2 और 3 गलत हैं।

'पुल एंड पुश' कारक अंतर्राष्ट्रीय पूँजी प्रवाह की व्याख्या करते हैं। परिच्छेद में इसका सीधा उल्लेख है। इसलिए कथन 1 सही है।

'पुश' कारक अर्थव्यवस्था के बाहरी कारक होते हैं, जिनमें अन्य विषयों के साथ कुछ मानदंड जैसे निम्न ब्याज दर, नकदी का प्रचुरता, धीमा विकास, या उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में निवेश के अवसरों का अभाव भी सम्मलित होते हैं। 'पुल' कारक अर्थव्यवस्था के भीतर से कार्य करते हैं, जैसे, उदीयमान अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक सुधारों के फलस्वरूप अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ प्रदर्शन और निवेश का उन्नत वातावरण”। इसलिए पुश कारक और पुल कारक दोनों में अदलाबदली हुई है, इसलिए दोनों ही कथन गलत हैं।


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Q.

Capital inflows can be classified by instrument (debt or equity) and maturity (short-term or long-term). The main components of capital account include foreign investment, loans, and banking capital. Foreign investment comprising FDI and portfolio investment represents non-debt liabilities, while loans (external assistance, ECBs, and trade credit) and banking capital including NRI deposits are debt liabilities. In India, FDI is preferred over portfolio flows as the FDI flows tend to be more stable than portfolio and other forms of capital flows. Rupee-denominated debt is preferred over foreign currency debt and medium- and long-term debt is preferred over short-term.

Push and pull factors explain international capital flows. Push factors are external to an economy and inter alia include parameters like low interest rates, abundant liquidity, slow growth, or lack of investment opportunities in advanced economies. Pull factors like robust economic performance and improved investment climate as a result of economic reforms in emerging economies are internal to an economy.

Q36. According to the passage, what are the debt liabilities?

1. External Commercial Borrowings and trade credit

2. NRI deposits and banking capitals

Select the correct answer using the codes given below:

पूँजी अंर्तप्रवाह को लेखपत्रों (ऋण या शेयर) और परिपक्क्ता (अल्पावधि या दीर्घावधि) के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। पूंजीगत खाते के मुख्य संघटकों में विदेशी निवेश, ऋण और बैंकिंग पूँजी सम्मलित हैं। पोर्टफोलियो निवेश और FDI जैसे विदेशी निवेश, गैर-ऋणों के प्रतीक हैं, जबकि ऋण (बाह्य सहायता, बाह्य वाणिज्यक ऋण और व्यापार ऋण), बैंकिंग पूँजी और अनिवासी भारतीय जमाएं ऋण देयताओं की श्रेणी में आते है। भारत में पोर्टफोलियो अंतर्प्रवाह की तुलना में FDI को अधिक वरीयता मिलती है क्योंकि FDI अंतर्प्रवाह पोर्टफोलियो और निवेश के अन्य शैलियों से अधिक संतुलित है। विदेशी मुद्रा की तुलना में भारतीय रूपयों में ऋण को वरीयता प्राप्त होती है और लघु अवधि के ऋण की तुलना में मध्यम या दीर्घावधि के ऋण को वरीयता दी जाती है।

‘पुश एंड पुल’ कारक, अंतर्राष्ट्रीय पूँजी प्रवाह की व्याख्या करते हैं। ‘पशु’ कारक अर्थव्यवस्था के बाहर से कार्य करते हैं, जिनमें अन्य विषयों के साथ कुछ मानदण्ड, जैसे कि निम्न ब्याज दर, नकदी की प्रचुरता, धीमा विकास, या उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में निवेश में अवसरों का अभाव भी सम्मलित होता है। ‘पुल’ कारक अर्थव्यवस्था के भीतर कार्य करते हैं, जैसे उदीयमान अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक सुधारों के फलस्वरूप अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ प्रदर्शन और निवेश का उन्नत वातावरण।

Q36. इस परिच्छेद के अनुसार ऋण देयता क्या होते हैं?

1. बाह्य वाणिज्यक ऋण और व्यापार ऋण।

2. अनिवासी भारतीय जमाएं और बैंकिंग पूँजी।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिएः


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