'चल! ये लोग म्हारा घर ना बणने देंगे।' – सुकिया के इस कथन के आधार पर कहानी की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।
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Solution
इस कथन से सुकिया तथा मानो जैसे लोगों की शोषण भरी जिंदगी का पता चलता है। उन लोगों को पूँजीपतियों के हाथों शोषण का शिकार होना पड़ता है। पूँजीपति वर्ग उन्हें पैसे के ज़ोर पर अपने हाथों की कठपुतलियाँ बनाकर रखना चाहता है। सूबेसिंह जैसे लोग सुकिया तथा मानो जैसे लोगों को चैन से जीने नहीं देते हैं। एक मज़दूर के पास यह अधिकार नहीं होता है कि वह अपने अनुसार जीवन जी सके। वे इनके हाथों सदैव से प्रताड़ित होते आ रहे हैं। इन्हें या तो पूँजीपतियों की नाज़ायज़ माँगों के आगे घूटने टेकने पड़ते हैं या फिर खानाबदोश के समान एक स्थान से दूसरे स्थानों तक भटकना पड़ता है। सुकिया का कथन मज़दूरों की इसी संवेदना को प्रकट करता है।