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In the light of the vision of Pandit Nehru, five Zonal Councils were set up vide Part-III of the States Re-organisation Act, 1956. The present composition of each of these Zonal Councils is as under:
• The Northern Zonal Council, comprising the States of Haryana, Himachal Pradesh, Jammu & Kashmir, Punjab, Rajasthan, National Capital Territory of Delhi and Union Territory of Chandigarh;
• The Central Zonal Council, comprising the States of Chhattisgarh, Uttarakhand, Uttar Pradesh and Madhya Pradesh; • The Eastern Zonal Council, comprising the States of Bihar, Jharkhand, Orissa, Sikkim and West Bengal;
• The Western Zonal Council, comprising the States of Goa, Gujarat, Maharashtra and the Union Territories of Daman & Diu and Dadra & Nagar Haveli;
• The Southern Zonal Council, comprising the States of Andhra Pradesh, Karnataka, Kerala, Tamil Nadu and the Union Territory of Puducherry.
The North Eastern States i.e. (i) Assam (ii) Arunachal Pradesh (iii) Manipur (iv) Tripura (v) Mizoram (vi) Meghalaya and (vii) Nagaland are not included in the Zonal Councils and their special problems are looked after by the North Eastern Council, set up under the North Eastern Council Act, 1972. The State of Sikkim has also been included in the North Eastern Council vide North Eastern Council (Amendment) Act, 2002 notified on 23rd December 2002. Consequently, action for exclusion of Sikkim as member of Eastern Zonal Council has been initiated by Ministry of Home Affairs.
The Home Minister of Central government is the common chairman of the five zonal councils. The Chief Ministers of the States included in each zone act as Vice-Chairman of the Zonal Council for that zone by rotation, each CM holds office for a period of one year at a time.
पंडित नेहरू के दृष्टिकोण के आलोक में, राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के भाग- III में पांच क्षेत्रीय परिषदें गठित की गईं। इनमें से प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद की वर्तमान रचना निम्नानुसार है:
• उत्तरी क्षेत्रीय परिषद् में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ शामिल हैं;
• केन्द्रीय क्षेत्रीय परिषद, जिसमें छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्य शामिल हैं;
• पूर्वी क्षेत्रीय परिषद, जिसमें बिहार, झारखंड, उड़ीसा, सिक्किम और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल हैं;
• पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद, जिसमें गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र और केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव और दादरा और नगर हवेली शामिल हैं;
• दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद, जिसमें आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी शामिल हैं।
उत्तर पूर्वी राज्य अर्थात (i) असम (ii) अरुणाचल प्रदेश (iii) मणिपुर (iv) त्रिपुरा (v) मिजोरम (vi) मेघालय और (vii) नागालैंड क्षेत्रीय परिषद् में शामिल नहीं हैं और उनकी विशेष समस्याओं को उत्तर पूर्वी परिषद अधिनियम, 1972 के तहत स्थापित उत्तर पूर्वी परिषद द्वारा सुलझाया जाता है। सिक्किम राज्य को भी उत्तर पूर्वी परिषद में उत्तर पूर्वी परिषद (संशोधन) अधिनियम, 2002 के द्वारा शामिल किया गया है, जिसे 23 दिसंबर 2002 को अधिसूचित किया गया था।नतीजतन, सिक्किम को पूर्वी क्षेत्रीय परिषद के सदस्य के रूप में शामिल करने की कार्रवाई गृह मंत्रालय द्वारा शुरू की गई है। केंद्र सरकार के गृह मंत्री पाँचों क्षेत्रीय परिषद् के अध्यक्ष होते हैं।प्रत्येक जोन में शामिल राज्यों के मुख्यमंत्री उस क्षेत्र के लिए क्षेत्रीय परिषद् के उपाध्यक्ष के रूप में चक्रानुक्रम में कार्य करते हैं, प्रत्येक मुख्यमंत्री एक समय में एक वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करते हैं।