Consider the following statements with respect to Union Public Service commission (UPSC)
1. The entire expenses of the chairman and the members of UPSC are charged on the Consolidated Fund of India.
2. The Chairman of UPSC is not eligible for further employment in the Government of India or a state.
3. The Chairman of UPSC is not eligible for Second term.
Which of the above statement(s) is/are correct?
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के संपूर्ण खर्चों को भारत के समेकित कोष पर अधोपित किया जाता है।
2. संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष भारत सरकार या किसी राज्य में आगे के रोजगार के लिए योग्य नहीं है।
3. संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष दूसरे कार्यकाल के लिए योग्य नहीं हैं।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा कथन सत्य है?
All of the above
उपरोक्त सभी
UPSC is an independent constitutional body in the sense that it has been directly created by the Constitution. The chairman and members of the Commission hold office for a term of six years or until they attain the age of 65 years, whichever is earlier. The entire expenses including the salaries, allowances and pensions of the chairman and members of the UPSC are charged on the Consolidated Fund of India. Thus, they are not subject to vote of Parliament. The chairman of UPSC (on ceasing to hold office) is not eligible for further employment in the Government of India or a state. A member of UPSC (on ceasing to hold office) is eligible for appointment as the chairman of UPSC or a State Public Service Commission (SPSC), but not for any other employment in the Government of India or a state. The chairman or a member of UPSC is (after having completed his first term) not eligible for reappointment to that office (i.e., not eligible for second term). Recently, Arvind Saxena has been sworn in as the Chairman, Union Public Service Commission.
यूपीएससी इस अर्थ में एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है की इसे प्रत्यक्षत: संविधान के अन्तर्गत गठित किया गया है। आयोग के अध्यक्ष और सदस्य छह साल की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक जो भी पहले हो पद पर रहते हैं। यूपीएससी के चेयरमैन और सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन सहित पूरे खर्च, भारत के समेकित कोष में से खर्च किये जाते हैं। इस प्रकार, वे संसद के वोट के अधीन नहीं हैं।यूपीएससी का अध्यक्ष (पदभार ग्रहण करने के बाद) भारत सरकार या किसी राज्य में अन्य किसी रोजगार के लिए योग्य नहीं है।यूपीएससी का एक सदस्य (पद पर आसीन होने के बाद) यूपीएससी या एक राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र है, लेकिन भारत सरकार या किसी राज्य में किसी भी अन्य रोजगार के लिए नहीं। यूपीएससी का अध्यक्ष या सदस्य (अपना पहला कार्यकाल पूरा करने के बाद) उस कार्यालय के लिए पुन: नियुक्ति के लिए पात्र नहीं है (यानी, दूसरे कार्यकाल के लिए पात्र नहीं है)। हाल ही में, अरविंद सक्सेना को लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में शपथ दिलाई गई है।