धूत कहौ.... वाले छंद में ऊपर से सरल व निरीह दिखलाई पड़ने वाले तुलसी की भीतरी असलियत एक स्वाभिमानी भक्त हृदय की है। इससे आप कहाँ तक सहमत हैं?
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Solution
इस छंद को पढ़कर ही पता चल जाता है कि तुलसी बहुत ही स्वाभिमानी भक्त हैं। उन्हें लोगों के कहने से दुख होता है। जब लोग उनकी भक्ति के विषय में भला बुरा कहते हैं। उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि लोग उनके विषय में क्या कहते हैं। बात तब उन्हें खराब लगती है, जब लोग उनकी भक्ति को ही बुरी दृष्टि से देखते हैं। शायद यही कारण है कि वे इस पंक्ति के माध्यम से लोगों के आक्षेप का जवाब देते हैं। वह स्पष्ट कर देते हैं कि लोग उन्हें किस जाति का समझते हैं, उससे उन्हें फर्क नहीं पड़ता है। उनका लोगों से कोई मतलब नहीं है। ना ही उन्हें अपनी संतान का विवाह किसी भी व्यक्ति की संतान से करना है। वह मात्र राम की भक्ति करना जानते हैं और यही उनकी पहचान हैं। राम की भक्ति उनका स्वाभिमान है। अतः कोई इसे खंड़ित करने का प्रयास करेगा, तो वह उसे जवाब अवश्य देगें।