दो रुपए में प्राप्त बोधिसत्व की मूर्ति पर दस हज़ार रुपए क्यों न्यौछावर किए जा रहे थे?
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Solution
बोधिसत्व की इस मूर्ति का बहुत महत्व था। वे इस प्रकार हैं-
(क) बोधिसत्व की जितनी भी मूर्तियाँ पहले मिली थी, उनसे यह सबसे पुरानी थी।
(ख) यह कुषाण सम्राट कनिष्क के समय की थी।
(ग) कुषाण सम्राट कनिष्क के राज्यकाल के दूसरे साल में वहाँ स्थापित की गई थी।
(घ) सबसे बड़ी बात कि यह अब भी पूर्ण थी। कहीं से भी खंडित नहीं थी।
(ङ) उस मूर्ति के पैरों के स्थान के पास से निम्नलिखित जानकारियाँ प्राप्त हुई थीं।
प्रायः ऐसे पुरातत्व महत्व की वस्तुओं में इस प्रकार की सभी विशेषताएँ नहीं पायी जाती है। अतः दो रुपए में प्राप्त मूर्ति पर एक फ्राँसीसी व्यक्ति द्वारा दस हजार रुपए न्यौछावर किए जा रहे थे। उसे निराशा हाथ लगी क्योंकि लेखक भी मूर्ति के महत्व से परिचित था। वह उसे देश से बाहर नहीं जाने देना चाहता था। अतः उसने भी मूर्ति पर दस हजार न्यौछावर कर दिया और उस व्यक्ति को लौटा दिया।