एक अध्यापक के रूप में त्रिलोकसिंह का व्यक्तित्व आपको कैसा लगता है? अपनी समझ में उनकी खूबियों और खामियों पर विचार करें।
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Solution
एक अध्यापक के रूप में हमें त्रिलोकसिंह का व्यक्तित्व प्रभावी नहीं लगा। वे एक अच्छे अध्यापक थे। बच्चों को प्रोत्साहित करते हैं। उनके भविष्य के लिए उन्हें चिंता होती है। बच्चों के माता-पिता के पास जाकर उन्हें बच्चों के विषय में जानकारी देते हैं। इन बातों से हम उन्हें अच्छा बोल सकते हैं। बच्चों के प्रति उनकी ज़िम्मेदारी मात्र ऐसे विद्यार्थियों की तरफ़ थीं, जो होनहार हैं। होनहार विद्यार्थियों को वे आगे बढ़ाते थे तथा उनका प्रोत्साहन करते थे। मोहन ऐसे बालकों में से एक था। धनराम जैसे बालकों को वे प्रोत्साहित नहीं करते। अपनी चाबुक की समान बातों से उन्हें तोड़ डालते हैं। एक अध्यापक की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वह प्रत्येक विद्यार्थी के विकास के लिए कार्य करे। एक बुद्धिमान विद्यार्थी के स्थान पर ऐसे बालकों पर काम करें, जो कम बुद्धिमान हैं। शिक्षा देना उनका कार्य है। अतः वह शिक्षा का गलत बँटवारा नहीं कर सकते हैं। उन्हें चाहिए था कि जैसा व्यवहार तथा प्रेम वे मोहन से किया करते थे, वैसा ही धनराम के साथ भी करना चाहिए था। मोहन से अधिक प्रोत्साहन और ध्यान की आवश्यकता धनराम को थी। मास्टर जी ने ऐसा नहीं किया। उनके कथनों ने धनराम को शिक्षा के प्रति उपेक्षित बना दिया और वह पिता की दुकान पर जा बैठा।