एक बार फिर से कविता पढ़ो। इस कविता में एक नाव के बनने और पानी में सफ़र करने की कहानी छिपी है। मान लो तुम ही वह नाव हो। अब अपनी कहानी सबको सुनाओ।
शुरूआत हम कर देते हैं।
मैं एक नाव हूँ। मैं कागज़ से बनी हूँ। मुझे एक लड़के ने बनाया। उसका नाम तो मुझे नहीं पता पर ....................................................................................................................................................... |
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मैं एक नाव हूँ। मैं कागज़ से बनी हूँ। मुझे एक लड़के ने बनाया। उसका नाम तो मुझे नहीं पता पर वह मुझे बनाने पर खुश हुआ। बारिश हो रही थी। उसने मुझे पानी में बहने के लिए छोड़ दिया। मैं बहते-बहते दूर निकल गई और आगे जाकर कुछ झाड़ियों में फँस गई। तब से मैं यहीं हूँ। मैं पानी के कारण गल चूकी हूँ और कभी भी प्राण त्याग सकती हूँ।