घर में रहनेवालों से ही घर, घर कहलाता है। पारिवारिक रिश्ते खून के रिश्ते हैं फिर भी उन रिश्तों को न खोल पाना कैसी विवशता है। अपनी राय लिखिए।
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Solution
यह सही है कि घर में रहनेवालों से ही घर, घर कहलाता है। पारिवारिक रिश्ते खून के रिश्ते हैं। ये ऐसे रिश्ते हैं, जिनसे हम चाहे भी तो खोल नहीं पाते हैं। कारण आर्थिक तंगी इनमें एक रेखा खींच देती है। सब साथ रहते हैं लेकिन विवशतावश कुछ बोल नहीं पाते हैं। गरीबी से व्याप्त परिवार में सबके पास शिकायतों का भंडार होता है। अतः सब प्रयास करते हैं कि मुँह से ऐसा कुछ न निकले जिसे अन्य को दुख पहुँचे। अतः सब चुप रहना ही सही समझते हैं। यहाँ पर वे एक-दूसरे के सम्मुख अपनी दिल की बात बोलने में हिचकिचाते हैं।