'गुमानहूँ तें मानहुँ तैं' में क्या भाव-सौंदर्य छिपा हैं?
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Solution
इसमें यह भाव सौंदर्य है कि वर्षा ऋतु में प्रेम में प्रेमी का रूठना भी अच्छा लगता है। भाव यह है कि प्रायः जब प्रियतम रूठ जाता है, तो मनुष्य अहंकार वश मनाता नहीं है। वर्षा ऋतु में यदि प्रेमी नाराज़ हो जाए, तो उसे मनाना अच्छा लगता है। यह ऋतु का ही प्रभाव है कि नाराज़ प्रेमी को मनाकर आनंद प्राप्त किया जाता है।