'हँसी की चोट' सवैये की अंतिम पंक्ति में यमक और अनुप्रास का प्रयोग करके कवि क्या मर्म अभिव्यंजित करना चाहता है?
'हँसी की चोट' सवैये की अंतिम पंक्ति में यमक और अनुप्रास का प्रयोग करके कवि विरह में व्याकुल गोपी के हृदय का मर्म अभिव्यंजित करना चाहता है। कृष्ण की मुस्कान भरी छवि देखने के बाद से उसका हृदय उसका नहीं रहा है। कृष्ण का मुँह फेरना उसके लिए घातक हो गया है। वह न जी पाती है और न ही मर पाती है। बस कृष्ण के प्रेम की आशा में वह बैठी रहती है।