जागृति नहीं अनिद्रा मेरी,
नहीं गई भव-निशा अँधेरी!
उक्त पंक्तियों में 'जागृति' 'अनिद्रा' और 'भव-निशा अँधेरी' से कवि का सामाजिक संदर्भों में क्या अभिप्राय है?
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Solution
सामाजिक संदर्भों में 'जागृति' से तात्पर्य क्रांति से है। 'अनिद्रा' वह अवस्था है, जिसमें मनुष्य को सही गलत का ज्ञान नहीं होता। 'भव-निशा अँधेरी' समाज में व्याप्त रूढ़ियाँ और कुरतियाँ हैं, जो मनुष्य को सताती रहती हैं। जागृति जागने की अवस्था है, इसमें उसे सही-गलत का भान हो जाता है। अनिद्रा में मनुष्य न जागा होता है और न सोया होता है। यह अवस्था खतरनाक होती है। समाज में व्याप्त यही अवस्था नाश का कारण है।