'जल उठो फिर सींचने को' इस पंक्ति का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
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यह पंक्ति निराशा और दुख से उभरने की प्रेरणा देती है। कवि के अनुसार मनुष्य को निराशा और दुख से उभरने के लिए एक बार फिर प्रयत्नशील होना चाहिए। यह कविता जहाँ उत्साह का संचार करती है, वहीं यह आशा भी बाँधती है कि संघर्ष से लड़कर निकला जा सकता है। अत: कवि लोगों को जीवन में निराशा और दुख से लड़ने के लिए प्रेरित कर उन्हें जीवन में आगे बढ़ने का मार्ग बताता है।