'जूझ' शीर्षक के औचित्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें कि क्या यह शीर्षक कथा नायक की किसी केंद्रीय चारित्रिक विशेषता को उजागर करता है?
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Solution
'जूझ' शीर्षक असलियत में नायक के संघर्ष को चित्रित करता है। शीर्षक हर कहानी का मुख्य बिन्दु है। इससे ही कथा तथा उसकी विषय वस्तु के बारे में जानकारी मिलती है। शीर्षक को पढ़कर ही आपको अंदाज़ा हो जाता है कि कथा किस ओर लेकर जाएगी। कथा पढ़ने के बाद शीर्षक औचित्यपूर्ण जान पड़ता है। नायक गाँव में रहता है। एक किसान परिवार की सोच तथा उनकी मान्यता इस कहानी में बड़ी अच्छी तरह से जान पड़ती है। कहानी का नायक पढ़ाई करना चाहता है। उसका पिता शिक्षा के महत्व से अनजाना है। पिता के अनुसार एक किसान को खेती के कामों से ही रोज़ी-रोटी मिलती है। अतः शिक्षा को वह महत्व नहीं देता। नायक किस तरह संघर्ष करता है और अपनी शिक्षा के दरवाजे खोलता है। वह दरवाज़े ही नहीं खोलता बल्कि उसे जो अवसर मिलता है, उसका भरपूर लाभ उठाता है। उसका संघर्ष उसे जल्द ही उसके लक्ष्य तक पहुँचा देता है। नायक यह चारित्रिक विशेषता है। कहानी का केन्द्र बिन्दु उसका संघर्ष ही है। जहाँ वह पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, व्यक्तिगत स्तर पर स्वयं के लिए लड़ता है और सफल होकर दिखाता है।