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Question

(क) दरअसल सिद्धांत कला को जन्म नहीं देते, कला स्वयं अपने सिद्धांत या तो लेकर आती है या बाद में उन्हें गढ़ना पड़ता है।

(ख) कला में बेहतर क्या है- बुद्धि को प्रेरित करने वाली भावना या भावना को उकसाने वाली बुद्धि?

(ग) दरअसल मनुष्य स्वयं ईश्वर या नियति का विदूषक, क्लाउन, जोकर या साइड किक है।

(घ) सत्ता, शक्ति, बुद्धिमता, प्रेम और पैसे के चरमोत्कर्ष में जब हम आईना देखते हैं, तो चेहरा चार्ली-चार्ली हो जाता है।

(ङ) मॉर्डन टाइम्स द ग्रेट डिक्टेटर आदि फ़िल्में कक्षा में दिखाई जाएँ और फ़िल्मों में चार्ली की भूमिका पर चर्चा की जाए।

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Solution

(क) कला का जन्म पहले होता है। उसक बाद उसके सिद्धांत बनते हैं। सिद्धांत पहले बनाकर कला को विकसित नहीं किया जा सकता है। कला तो मनुष्य के हृदय के भावों से उपजी है। वह पहले विकसित होती है तथा बाद में अपने सिद्धांतों को स्वयं बनाती है।

(ख) कला में बेहतर है भावना को उकसाने वाली बुद्धि। क्योंकि कला का संबंध भावना से है।

(ग) मनुष्य को ईश्वर ने अपना जोकर बनाकर भेजा है।

(घ) बिलकुल सही है। एक ऐसा मनुष्य जिसके पास सत्ता हो, उसे चलाने की शक्ति विद्यमान हो, बुद्धि का साथ हो, इसके अतिरिक्त वह प्रेम और पैसे से संपन्न हो, तब हम स्वयं को चार्ली के रूप में देखते हैं। वह ऐसी स्थिति में हँसता है।

(ङ) चार्ली की भूमिका स्वयं एक शिक्षा है, जो हमे सिखाती है कि कठिन से कठिन समय में हमें कैसे चलना चाहिए। जीवन में संघर्ष और कठिनाइयाँ विद्यमान है। यदि हम उस समय स्वयं को संयंत करने नहीं चलेंगे, तो मुँह की खाएँगे। उनकी फ़िल्में हमें सचाई और उस सचाई को सहना तथा उसमें प्रसन्नतापूर्वक जीना सिखाती है।

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