(क) "खेल-खिलौनों की दुनिया में तुमको परी बनाऊँगा।" बचपन में तुम भी बहुत से खिलौनों से खेले होगे। अपने किसी खिलौने के बारे में बताओ।
(ख) "मोल-भाव करके लाया हूँ
ठोक-बजाकर देख लिया।"
अगर तुम्हें अपने लिए कोई खिलौना खरीदना हो तो तुम कौन-कौन सी बातें ध्यान में रखोगे?
(ग) "मेले से लाया हूँ इसको
छोटी-सी प्यारी गुड़िया"
यदि तुम मेले में जाओगे तो क्या खरीदकर लाना चाहोगे और क्यों?
(क) बचपन में हम भी गुड़िया से खेलते थे। उसके लिए कपड़े बनाते थे। उनके रहने के लिए छोटा-से बक्से से घर बनाते थे। घर के अंदर तरह-तरह के छोटे-छोटे सामान लाकर रखते थे। गुड्डे तथा गुड़िया को सजाते थे।कभी-कभी तो सभी बच्चे दो भागों में बँट जाते थे और उनके विवाह आदि भी करवाते थे। एक पक्ष गुड्डेवाले का होता था और दूसरा पक्ष गुड़ियावाले का। हम सब मिलकर उनका विवाह आदि करवाते थे।
(ख) अगर हमें अपने लिए कोई खिलौना खरीदना हो, तो हम देखेंगे कि वह अच्छा व उपयोगी है या नहीं। कहीं से टूटा-फूटा तो नहीं है। खिलौनेवाला जितने पैसे माँग रहा है, उस हिसाब से वह ठीक भी है। यदि नहीं तो मोल-भाव करेंगे और खिलौना कितने दिन चल तक सकता है, यह भी देखना ज़रूरी है।
(ग) मेले में जाकर हमें जो कुछ अच्छा लगेगा और जो हमारे लिए उपयोगी होगा हम वही खरीदेंगे।