कबीर के अनुसार लोगों में सच सुनने की शक्ति नहीं है। वह सच पर सरलता से विश्वास भी नहीं कर पाते हैं। वे झूठ पर शीघ्र विश्वास कर लेते हैं। कबीर धर्म तथा ईश्वर के विषय में लोगों को जो सत्य बताते हैं, वे उसे समझ नहीं पाते हैं। धर्म तथा ईश्वर लोगों में फैली धारणों से भिन्न है। जब कबीर इस विषय में बताते हैं, तो वे उसे सच नहीं मानते हैं। अतः कबीर संसार को बौरा हुआ मानते हैं।