'खाली कटोरों में वसंत का उतरना' का आशय है कि भिखारी को भीख मिलने लगी है। इससे पहले उन्हें भीख नसीब नहीं हो रही थी। गंगा के घाटों में भिखारी भिक्षा की उम्मीद पर आँखें बिछाए बैठे हुए थे लेकिन उनके भिक्षापात्र खाली ही थे। अचानक घाट पर भीड़ बढ़ने लगी है और लोग उन्हें भिक्षा दे रहे हैं। भिक्षा मिलने से उनके खाने-पीने संबंधी चिंताएँ कुछ समय के लिए समाप्त हो गई हैं और उनके मुख पर प्रसन्नता दिखाई देनी लगी है। अत: कवि इस स्थिति को खाली कटोरों में वसंत का उतरना कहता है।