खेल में हारकर भी हार न माननेवाले साथी के साथ आप क्या करेंगे? अपने अनुभव कक्षा में सुनाइए।
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Solution
खेल में हारकर भी हार न मानने वाले साथी को हम झूठा और चालाक कहेंगे।
मेरा एक मित्र था। हम सब साथी मिलकर खेलते थे। वह तब तक आराम से खेलता था, जब तक उसकी खेलने की बारी होती थी। जैसे ही हमारी खेलने की बारी आती थी या वह हारने लगता था, वह बहाना बनाकर भाग जाता था। ऐसे उसने कई बार किया। हम हर बार यही सोचकर उसे फिर अपने साथ खेलने को कहते कि अब वह इस प्रकार से नहीं करेगा। वह नहीं सुधरा। आखिरकार हम सबने तय किया कि उसे सबक सिखाना पड़ेगा। अतः हम लोग सभी ऐसा करते। जब तक हमारी बारी आती हम खेलते रहते, जैसे ही उसकी बारी आती हम खेलने से मना कर देते। आखिर उसे समझ में आया कि वह जो करता था गलत करता था। फिर वह सुधर गया।