कवि अपनी कल्पना से शब्दों के हेर-फेर द्वारा कुछ चीज़ों के बारे में ऐसी बातें कह देता है, जिसे पढ़कर बहुत अच्छा लगता है। तुम भी अपनी कल्पना से किसी चीज़ के बारे में जैसी भी बात बताना चाहो, बता सकते हो। हाँ, ध्यान रहे कि उन बातों से किसी को कोई नुकसान न हो। शब्दों के फेर-बदल में तुम पूरी तरह से स्वतंत्र हो।
मैं एक खेत की सैर करने गया। पीली सरसों के खेत लहलहा रहें थे। ऐसा लग रहा था मानों हरी मखमली ज़मीन पर पीली चादर पड़ी है। उस पर ओस की छोटी-छोटी बूदें चमकते हुए मोती और ज़री जैसे लग रहे थे।