कवि जानता है कि चेतन मनुष्य पर बाहर व्याप्त वातावरण का प्रभाव पड़ेगा। उसे बाहर का अँधकार भयभीत करता है। इस कारण उसके मन में चिंताएँ हावी हो जाती हैं। इन सब बातों से स्वयं को छुटकारा दिलाने के लिए कवि सोना चाहता है। इस तरह सोकर वह जड़ अवस्था में पहुँच जाएगा। कुछ समय के लिए उसे चिंताओं तथा डर से पीछा छूट जाएगा। इस तरह उसे सुबह का इंतज़ार करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।