कवि ने किस प्रकार की पुकार से 'कान खोलि है' की बात कही है?
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कान खोलि से कवि ने अपनी प्रेमिका के कानों को खोलने की बात कही है। कवि कहता है कि वह कब तक कानों में रुई डाले रहेगी। कब तक यह दिखाएगी कि वह बहरी बनी बैठी है। एक दिन ऐसा अवश्य आएगा कि मेरे हृदय की पुकार उसके कानों तक अवश्य पहुँचेगी। भाव यह है कि कवि को विश्वास है कि एक दिन उसकी प्रेमिका अवश्य उसके प्रति बैरुखा रवैया छोड़कर उसे अपना लेगी। कवि की करुण पुकार उसे अवश्य पिघला देगी।