(क) सरस तामरस गर्भ विभा पर-नाच रही तरुशिखा मनोहर।
तालाब में स्थित कमलों पर तथा वृक्षों की चोटियों पर पढ़ने वाली सूर्य की किरणें ऐसी प्रतीत हो रही हैं मानो नाच रही हों।
(ख) लघु सुरधनु से पंख पसारे-शीतल मलय समीर सहारे।
मलय पर्वत पर बहने वाली हवा के सहारे छोटे पखों द्वारा उड़ते पक्षी ऐसे प्रतीत होते हैं मानो आकाश में इंद्रधनुष उभर आया हो।