कविता में 'अमरता-सुत' का संबोधन किसके लिए और क्यों आया है?
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कवयित्री के अनुसार जो व्यक्ति जीवन मार्ग पर चलता है, वह अमरता-सुत है। आत्मा या जीवात्मा अमर होती है। वह न कभी मरती है और न जल सकती है। वह अमर-अजर है। वह परमात्मा का ही अंश है। यही कारण है कि हर व्यक्ति में विद्यमान आत्मा को ही अमरता-सुत कहा गया है।