लेखिका मियाँ नसीरुद्धीन के पास नानबाई कला के विषय में जानने के लिए गई थीं। एक बार लेखिका ने देखा कि एक अँधेरी दुकान पर आटा साना जा रहा था। उसे देखकर लेखिका जानने को उत्सुक हो गई कि वहाँ क्या बन रहा हैं? बात करने पर पता लगा कि वह मशूहर नानबाई पकाने वाले मियाँ नसीरुद्धीन की दुकान पर है।