लेखक को क्यों लगता है कि 'हम जिसे विकास की औद्योगिक सभ्यता कहते हैं वह उजाड़ की अपसभ्यता है'? आप क्या मानते हैं?
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Solution
हम लेखक के इस कथन से बिलकुल सहमत है। ऐसी औद्योगिक सभ्यता जिसने विकास के नाम पर प्रदूषण, प्रकृति दोहन, पृथ्वी का विनाश ही किया है। उसे अपसभ्यता ही कहेंगे। यह कौन-सा विकास है, जो हमें प्रगति के नाम पर विनाश की ओर ले जा रहा है। हम एक आविष्कार करते हैं और उससे पाँच नई समस्याएँ पैदा कर लेते हैं। हम किसी भी विकास के साधनों पर नज़र डालें तो हमें विकास के स्थान पर विनाश ही विनाश दिखाई देगा। मनुष्य ने अपनी उत्पत्ति के साथ से ही पृथ्वी का दोहन करना आरंभ कर दिया था। परन्तु तब दोहन की प्रक्रिया बहुत ही मंद थी। जैसे-जैसे मनुष्य का विकास होता गया, उसने प्रकृति का दोहन तेज़ी से करना आरंभ कर दिया। उसने रहने के लिए पेड़ों को काटा, आवास के लिए ईंट के निर्माण के लिए मिट्टी का प्रयोग किया, कोयले, सीमेंट, धातु, हीरे इत्यादि की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उसने पृथ्वी को खोदा। यह कैसा विकास है, जिसमें स्वयं की जड़ काटी जा रही है। अतः हम इसे अपसभ्यता कहेंगे।