लेखक ने धर्म का रहस्य जानने के लिए 'घड़ी के पुर्ज़े' का दृष्टांत क्यों दिया है?
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Solution
लेखक ने धर्म का रहस्य जानने के लिए घड़ी के पुर्ज़ें का दृष्टांत दिया है क्योंकि जिस तरह घड़ी की संरचना जटिल होती है, उसी प्रकार धर्म की सरंचना समझना भी जटिल है। हर मनुष्य घड़ी को खोल तो सकता है परन्तु उसे दोबारा जोड़ना उसके लिए संभव नहीं होता है। वह प्रयास तो कर सकता है परन्तु करता नहीं है। उसका मानना होता है कि वह ऐसा कर ही नहीं सकता है। ऐसे ही लोग प्रायः बिना धर्म को समझे, उसके जाल में उलझे रहते हैं क्योंकि उनके लिए धर्मगुरुओं ने इसे रहस्य बनाया हुआ है। वे इस रहस्य को जानने का प्रयास भी नहीं करते हैं और धर्मगुरुओं के हाथ की कटपुतली बने रहते हैं। उनका मानना होता है कि वे इसे समझने में असमर्थ हैं और केवल धर्मगुरुओं में ही इतना सामर्थ विद्यमान है। लेखक ने घड़ी के माध्यम से इन्हीं बातों पर प्रकाश डाला है। वह कहता है कि घड़ी को पहनने वाला अलग होता है और उसे ठीक करने वाला अलग, वैसे ही आज के समाज में धर्म को मानने वाले अलग हैं और उसके ठेकेदार अलग-अलग हैं। ऐसे ठेकेदार साधारण जन के लिए धर्म के कुछ नियम-कानून बना देते हैं। लोग बिना कुछ सोचे इसी में उलझे रहते हैं और इस तरह वे धर्मगुरुओं का पोषण करते रहते हैं। उन्हें धर्म को साधारण जन के लिए रहस्य जैसे बनाया हुआ है। घड़ी की जटिलता उसी रहस्य को दर्शाती है।