लेखक के अनुसार जिस प्रकार प्रजापति दुनिया की रचना अपनी इच्छा के अनुसार करता है, वैसे ही कवि भी दुनिया को अपने अनुसार बदल देता है। उसके अनुसार दुनिया को बदलने की शक्ति प्रजापति और कवि दोनों में होती है। यही कारण है कि लेखक ने कवि की तुलना प्रजापति से की है। जैसे प्रजापति कभी भी दुनिया को बदल देता है, वैसे ही कवि अपनी रचनाओं के दम पर समाज की सड़ी-गली परंपराओं को बदलने व उखाड़ने की शक्ति रखता है। उसमें रचनात्मक शक्ति होती है, जो कलम के माध्यम से शब्दों में और शब्दों के माध्यम से लोगों की सोच में आकार पाती है और सबकुछ बदल देती है।