'लगे रहो मुन्नाभाई' एक मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षाप्रद फ़िल्म है। यह गाँधी जी के मूल्यों उनके विचारों को व्यक्त करती हुई हमारी आँखों पर लगी झूठ और बेईमानी की पट्टी को उतार देती है। यह हमें सोचने पर विवश करती है कि गाँधी जी के मूल्यों तथा सिद्धान्तों को हमने भूला दिया है। इस फ़िल्म के निर्देशक ने अहिंसा, ईमानदारी और सत्य के मूल्यों की विशेषता तथा जीवन में उनके महत्व को उजागर किया है। यह फ़िल्म हमारा मार्गदर्शन करती है। संजय दत्त और अरशाद वारसी ने मुन्नाभाई तथा सरकिट के रूप में फ़िल्म में जान डाल दी है। एक ऐसा व्यक्ति जो झूठ, बेईमानी, मारपीट, दादगिरि इत्यादि में विश्वास रखता है और समाज में गुंडे के रूप में विख्यात है। वह अचानक कैसे गाँधी जी के द्वारा बताए अहिंसा, सत्य और ईमानदारी के सिद्धान्तों पर चलता हुआ आगे बढ़ता है। उसे इस मार्ग पर चलते हुए बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है मगर वह इससे हटता नहीं है। वह बढ़ता चला जाता है और सफल होता है।