लता ने करुण रस के गानों के साथ न्याय नहीं किया है, जबकि श्रृंगारपरक गाने वे बड़ी उत्कटता से गाती हैं- इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
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Solution
लेखक का यह अपना मत हो सकता है लेकिन हमारा मत यह नहीं है। हम लेखक की तरह संगीत की बारीकी को नहीं जानते हैं परन्तु सुनकर उसे महसूस अवश्य कर सकते हैं। लता जी के गाए गाने-
(क) ना कोई उमंग है, ना कोई तरंग है
(ख) नैना बरसे रिमझिम-रिमझिम
ऊपर दिए ये गाने करुण रस के बेजोड़ उदाहरण हैं। उनके इन गानों का जादू ऐसा ही है जैसे श्रृंगार रस में गाए गानों की है। अगर हम दोनों की संख्या की तुलना करें, तो करुण रस के गाने संख्या में कम हो सकते हैं। मगर ये इस बात का प्रमाण नहीं है कि लता जी ने करुण रस के गानों के साथ न्याय नहीं किया है।