मान लो तुम लेखक के घर की एक गौरैया हो। अब अपने साथी गौरैया को बताओ कि तुम्हारे साथ इस घर में क्या-क्या हुआ?
जब मैंने घोंसला बनाना शुरू किया तो किसी ने देखा नहीं। जब घोंसला बन गया तो तोड़ने लगे। थोड़े दिन शान्त रहे, फिर हमें भगाने की कोशिश करने लगे। सभी दरवाज़े, खिड़कियाँ बन्द कर दी, आने-जाने का रास्ता भी बन्द कर दिया। मेरे घोंसले में अंडे थे। उनकी हालत देखकर बहुत दुख हुआ। फिर एक दिन घोंसला तोड़ने लगे। तब तक बच्चे उड़ना सीख चुके थे। वे उड़ गए।