मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा जाता है?
मियाँ नसीरुद्धीन का नानबाई रोटी पकाने का अंदाज़ निराला है। वह उसे काम नहीं कला समझता है। यह कला उसे अपने खानदान से विरासत में मिली है। अन्य नानबाई रोटी अवश्य पकाते हैं लेकिन नसीरुद्धीन की तरह अपने काम से प्यार नहीं करते हैं। उन्हें छप्पन तरह की रोटियाँ बनानी आती हैं। अन्य नानबाईयों के लिए यह काम उनकी जीविका का साधन है और मियाँ नसीरुद्धीन के लिए यह एक कला है, जिसे पकाने में उन्हें आनंद आता है। उसकी मसीहाई अंदाज़ और सर्वश्रेष्ठता के कारण ही उसे नानबाइयों का मसीहा कहा जाता है।