नदी, कुएँ, स्नानागार और बेजोड़ निकासी व्यवस्था को देखते हुए लेखक पाठकों से प्रश्न पूछता है कि क्या हम सिंधु घाटी सभ्यता को जल-संस्कृति कह सकते हैं? आपका जवाब लेखक के पक्ष में है या विपक्ष में? तर्क दें।
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Solution
हमारा जवाब इसके पक्ष में है। इस नगर में अब जो देखने को बचा है, वह जल व्यवस्था ही है। ऐसी जल व्यवस्था जो स्वयं में अद्भुत है। आज के समय में जब हम स्वयं को आधुनिक कहते हैं, ऐसी जल व्यवस्था प्रणाली देखने को नहीं मिलती है। आज चारों तरफ पानी की कमी देखने को मिलती है। ऐसे में सिन्धु सभ्यता के अंदर हमें बड़ा सामूहिक स्नानागार मिलता है। एक ही पंक्ति में आठ स्नानाघर है। प्रत्येक घर के अपने स्नानघर हैं। पक्की ईंटों की नालियाँ है, जिसे पानी एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता रहा है। बड़े-बड़े कुएँ वहाँ पर विद्यमान हैं, जिससे नगर में पानी की व्यवस्था की जाती है। इसलिए इसे जल-संस्कृति कहना गलत नहीं होगा।