निजी होते हुए भी सार्वजनकि क्षेत्र में कुंइयों पर ग्राम्य समाज का अंकुश लगा रहता है। लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?
कुंइयों में पानी की मात्रा कम होती है। यह वर्षा का पानी वर्षभर नमी के रूप में धरती में सुरक्षित रहता है। अतः प्रत्येक घर अपनी कुंइयों का निर्माण करवाते हैं, तो इसका अर्थ होगा जो नमी है, उसका बँटवारा। यदि प्रत्येक व्यक्ति ही अनेक कुंइयाँ बनवाने लगे, तो यह बड़ी समस्या पैदा कर सकता है। इससे नमी के हिस्सेदार बढ़ जाएँगे। बाद में झगड़े होने लगेंगे गाँव के लिए यह स्थिति सही नहीं है। अतः ग्राम्य समाज अंकुश लगाकर इस स्थिति को रोके रखता है। प्रत्येक व्यक्ति को एक या दो कुंइयाँ बनाने का अधिकार होता है। यदि वह और बनाना चाहता है, तो उसे ग्राम्य समाज की स्वीकृति लेनी पड़ती है। बिना उनकी स्वीकृति के कुंइयों का निर्माण करना असंभव है।