(क) प्रसंग- यह गद्यांश प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी 'ईदगाह' से लिया गया है। इस गद्यांश में सामूहिक रूप से नमाज़ अदा करने का दृश्य दिखाया गया है। लेखक ने नमाज़ अदा करने की प्रणाली का बड़े ही आकर्षक ढंग से वर्णन किया है।
व्याख्या- नमाज़ अदा करते समय एक साथ असंख्य लोग अपने सिर सजदे में एक साथ झुकाते हैं। वे एक साथ खड़े होते हैं और फिर एक साथ झुक जाते हैं। सभी के द्वारा यह क्रिया कई बार दोहराई जाती है। इस क्रिया को देखकर लगता है मानो बिजली के बल्ब एक साथ जलते व बुझते हैं। उनकी यह क्रिया चलती रहती है। यह दृश्य बहुत ही मनोहर है। लोगों की एक साथ इस प्रकार की क्रिया मन को श्रद्धा और आनंद से भर देती है। यह क्रिया सभी के अंदर भाईचारे की भावना का निर्माण करती है। ऐसा लगता है मानो सभी मानवों की आत्माओं को एकता के धागे में ऐसे पिरो दिया गया है, जैसे माला के धागे में मोती के दाने को।
विशेष- 1. लेखक ने ईदगाह में नमाज़ अदा करने के दृश्य का वर्णन बहुत सुंदर किया है।
2. रूपक तथा उपमा का प्रयोग अद्भुत है।
(ख) प्रसंग- यह गद्यांश प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी 'ईदगाह' से लिया गया है। इस गद्यांश में अमीना अपने पोते हामिद के हाथ में चिमटा देखकर हैरत और शोक में पड़ जाती है। एक छोटा-सा बच्चा खाने-खिलौने के लालच को छोड़कर उसके लिए एक चिमटा खरीद लाया है।
व्याख्या- दादी ने जब हामिद से चिमटा लाने का कारण पूछा, तो उसका जवाब बहुत ही मासूम और समझदारी भरा था। अपनी दादी के हाथों को रोटी सेकते समय जलने से बचाने के लिए वह चिमटा ले आया। दादी, हामिद की बातें सुनकर भावुक हो गई। यह बात सुनकर उसका सारा गुस्सा जाता रहा और वह स्नेह तथा ममता से भर गई। वह प्रसन्नता के कारण कुछ बोल नहीं पा रही है। वह बस हामिद को देखे जा रही है। दादी स्नेह रस से भर गई थी, जो मजबूत, स्वादिष्ट और रस से पूर्ण था। वे हैरान थी कि इतने छोटे बच्चे की भावना कितनी सत्य और समझदारी से युक्त है।
विशेष-
1. लेखक ने दादी के मनोभावों का सुंदर चित्रण किया है।
2. गद्य की भाषा बहुत सरल है।