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Question

निम्नलिखित का काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) माँ की आँखें पड़ाव से पहले ही तीर्थ-यात्रा की बस के दो पंचर पहिए हैं।
(ख) पिता की आँखें लोहसाँय की ठंडी शलाखें हैं।

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Solution

(क) कवि माँ की आँखों को बस के दो पंचर पहिए कहकर माँ की अँधी आँखों के विषय में बता रहा है। इस तरह उसने प्रतीक के रूप में बस के दो पंचर कहा है। 'पड़ाव' शब्द को वह प्रतीक के रूप में दिखा रहा है। इसका अर्थ है कि माँ के जीवन का अंतिम समय है। वह कब भगवान को प्यारी हो जाए, कहा नहीं जा सकता है। अतः प्रतीकात्मकता का समावेश है। पंक्ति की विशेषता है कि दृश्य बिंब साकार हुआ है। पंक्ति में 'पंचर पहिए' अनुप्रास अलंकार की छटा बिखरते है। इसमें आँखें को पंचर पहिए कहा है, जो रूपक अलंकार को दर्शाता है।

(ख) पिता की आँखें को लोहसाँय की ठंडी शलाखें बताई गई हैं। इस पंक्ति में भी कवि ने प्रतीकात्मकता का सहारा लिया है। भाषा सहज और सरल है।

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