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Question

निम्नलिखित के संभावित परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं ? आपस में चर्चा कीजिए, जैसे - "ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है।" परिणाम – भ्रष्टाचार बढ़ेगा।
1. "सच्चाई केवल भीरू और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।" ……………………….
2. "झूठ और फरेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं।" ……………………….
3. "हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।" ………………………

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Solution

1. लोग स्वार्थी बनेंगे
2. अपने स्वार्थ के लिए दूसरों का अहित करेंगे
3. लोगों में अविश्वास की भावना बढ़ेगी


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Q. निम्नलिखित तीन परिच्छेदों को पढ़िए और प्रत्येक परिच्छेद के आगे आने वाले प्रश्नों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नों के आपके उत्तर इन परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए।

परिच्छेद 1
विश्व के अधिकतर राष्ट्र एवं लोग निर्धनता की स्थिति में हैं। ऐसा क्यों है? क्या निर्धन लोगों को अपनी दुर्दशा का दोष देना पर्याप्त है? क्या वे आलसी हैं, क्या उन्होंने गलत निर्णय लिए और अपनी स्थिति के लिए केवल स्वयं ही जिम्मेदार रहे हैं? उनकी सरकारों के बारे में क्या कहा जा सकता है? क्या उन्होंने वस्तुत: विकास की सफलता को क्षति पहुँचाने वाली नीतियाँ अपनाई? निर्धनता और असमानता के ऐसे कारण नि:संदेह वास्तविक हैं। लेकिन निर्धनता के गम्भीर एवं अधिक वैश्विक कारणों पर प्रायः कम चर्चा की जाती है। वैश्वीकरण द्वारा परस्पर सम्बद्धता की जगाई गई इस उम्मीद के पीछे वैश्विक निर्णर्यो, नीतियों और प्रथाओं का योगदान है। ये विशिष्ट रूप से समृद्ध और शक्तिशालियों द्वारा प्रभावित, संचालित, या निर्मित की जाती हैं। ये समृद्ध देशों के नेता या अन्य वैश्विक अभिकर्ता जैसे बहुराष्ट्रीय निगम, संस्थान और प्रभावशाली लोग हो सकते हैं। ऐसे अत्यधिक बाह्य प्रभाव की स्थिति में, निर्धन देश और उनकी जनता प्रायः शक्तिहीन होते हैं। परिणामस्वरूप, वैश्विक संदर्भ में, कुछ समृद्ध हो जाते हैं जबकि अधिकतर संघर्ष करते रहते हैं।

Q. परिच्छेद के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?
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