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Question

निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(क) मगध को बनाए रखना है, तो, ............. मगध है, तो शांति है।
(ख) मगध में व्यवस्था रहनी ही चाहिए .................. क्या कहेंगे लोग?
(ग) जब कोई नहीं करता ................ मनुष्य क्यों मरता है?

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Solution

(क) संदर्भ- प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीकांत वर्मा द्वारा रचित कविता 'हस्तक्षेप' से ली गई है। इसमें कवि मगध की शासन व्यवस्था का व्यवहार दर्शाता है।
व्याख्या- शासन व्यवस्था लोगों के साथ मनमाना व्यवहार करती है। लोगों में असंतोष को देखकर वह कहती है कि मगध की शांति के लिए उन्होंने आवाज़ नहीं उठानी है। यदि शासन में शांति व्यवस्था है, तो मगध है। यदि विद्रोह होगा, तो मगध के अस्तित्व में आँच आएगी। अतः लोगों को शांति बनाए रखने के लिए दबाव डाला जाता है। उनका मत है कि हमारे प्रयास से ही मगध में शांति है। शासन व्यवस्था लोगों को इस तरह कहकर विरोध को रोकने का प्रयास करती है। वे जानती है कि लोगों का हस्तक्षेप विरोध की स्थिति को जन्म देगा और उनकी मनमानी समाप्त हो जाएगी। अतः वह शांति के नाम पर उनको डराते हैं।

(ख) संदर्भ- प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीकांत वर्मा द्वारा रचित कविता 'हस्तक्षेप' से ली गई है। इसमें कवि मगध की शासन व्यवस्था का फैलाया हुआ डर दिखाता है।
व्याख्या- शासन व्यवस्था कहती है कि मगध में शांति बनाए रखने के लिए व्यवस्था का होना आवश्यक है। अतः उसके लिए प्रतिबंध लगाना आवश्यक है। इस व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रतिबंध को सहर्ष स्वीकार करना नागरिक के लिए आवश्यक है। कोई नागरिक इस व्यवस्था के विरोध में आवाज़ नहीं उठाएगा। उसके विरोध से शासन व्यवस्था में बाधा उत्पन्न होती है। अतः यह उचित नहीं है। अतः लोगों को चुपचाप इसे मानना चाहिए। यदि यह व्यवस्था मगध में स्थापित नहीं की जा सकेगी, तो सारे देश में बदनामी होगी। यह मगधवासियों के लिए सही नहीं होगा।

(ग) संदर्भ- प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीकांत वर्मा द्वारा रचित कविता 'हस्तक्षेप' से ली गई है। इस पंक्ति पर कवि मुर्दे के माध्यम से लोगों को चेताता है कि हस्तक्षेप करना आवश्यक होता है।
व्याख्या- मगधवासी शासन व्यवस्था के अन्याय तथा अनाचार से परेशान हैं। वे कुछ नहीं बोलते। विरोध नहीं करते हैं। वे जानते हैं कि उनके हस्तक्षेप किए बिना उनकी दशा सुधर नहीं सकती है। जब वे इस हस्तक्षेप से बचकर निकलने का प्रयास करेंगे, तो स्थिति ऐसी बनती है कि एक मुर्दा भी अपनी आवाज़ उठा कर उन पर व्यंग्य कस जाता है। तब जीवित लोगों द्वारा हस्तेक्षप किए बिना नहीं रहा जाएगा क्योंकि एक मुर्दा उनके स्वाभिमान को हिला जाएगा।

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